दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व IAS अधिकारी Puja Khedkar की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। उन पर आरोप है कि उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा 2022 में फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से ओबीसी और दिव्यांग कोटे का अनुचित लाभ उठाया।
इससे पहले, केंद्र सरकार ने सितंबर 2024 में उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया था।
Puja Khedkar केस: मामले की पृष्ठभूमि
Puja Khedkar पर आरोप है कि उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने के लिए फर्जी विकलांगता प्रमाणपत्र और ओबीसी प्रमाणपत्र प्रस्तुत किए। इस धोखाधड़ी के माध्यम से उन्होंने परीक्षा में अतिरिक्त प्रयासों का लाभ प्राप्त किया और चयनित हुईं।
जांच के दौरान, यूपीएससी ने पाया कि Puja Khedkar ने गलत जानकारी और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर परीक्षा में भाग लिया, जिससे उनकी नियुक्ति रद्द कर दी गई और उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया।
दिल्ली हाईकोर्ट का निर्णय
23 दिसंबर 2024 को, दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने Puja Khedkar की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई की।
कोर्ट ने पाया कि Puja Khedkar ने साजिश के तहत फर्जी दस्तावेजों का उपयोग किया, जिससे न केवल संवैधानिक संस्था यूपीएससी बल्कि समाज के प्रति भी धोखाधड़ी हुई है।
कोर्ट ने कहा कि Puja Khedkar का आचरण एक बड़ी साजिश का हिस्सा है, जिसका खुलासा जांच एजेंसियों द्वारा किया जाना आवश्यक है। इसलिए, अग्रिम जमानत देने से जांच प्रभावित हो सकती है।
यूपीएससी और दिल्ली पुलिस की भूमिका
यूपीएससी ने Puja Khedkar के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराया, जिसमें उन पर फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से परीक्षा में शामिल होने और आरक्षण का गलत लाभ उठाने का आरोप है।
दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की है। पुलिस का आरोप है कि Pooja Khedkar ने सिविल सेवा परीक्षा में आवेदन करते समय अपनी पहचान छुपाई और गलत जानकारी प्रदान की, ताकि वे ओबीसी और दिव्यांग कोटे का लाभ उठा सकें।
सेवा से बर्खास्तगी
सितंबर 2024 में, केंद्र सरकार (Central Covernment) ने Puja Khedkar को सेवा से बर्खास्त कर दिया था। जांच में पाया गया कि उन्होंने प्रमाणपत्रों में हेरफेर किया और फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किए।
यूपीएससी ने उन्हें रिपोर्ट करने के लिए बुलाया था, लेकिन वे वहां उपस्थित नहीं हुईं। इसके बाद, उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया और जांच शुरू की गई।
न्यायालय की टिप्पणी
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि Puja Khedkar का आचरण सिस्टम में हेरफेर करने की बड़ी साजिश का हिस्सा है। यह मामला न केवल संवैधानिक संस्था यूपीएससी बल्कि समाज में बड़े पैमाने पर व्याप्त धोखाधड़ी का बड़ा उदाहरण बन गया है।
Puja Khedkar को जमानत देने से साजिश का पता लगाने के लिए जारी जांच प्रभावित होगी। कोर्ट ने कहा कि पहली नजर में यह एक मजबूत मामला है और Puja Khedkar का आचरण एक बड़ी साजिश का हिस्सा है, जिसका खुलासा तभी हो सकता है जब जांच एजेंसी को जांच करने का मौका दिया जाए।
आगे की कार्रवाई
दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद, Puja Khedkar की गिरफ्तारी की संभावना बढ़ गई है। दिल्ली पुलिस अब इस मामले में आगे की जांच करेगी और आवश्यक कानूनी कार्रवाई करेगी।
Puja Khedkar पर लगे आरोप गंभीर हैं, और यदि वे दोषी पाई जाती हैं, तो उन्हें कड़ी सजा का सामना करना पड़ सकता है।
Puja Khedkar का मामला
Puja Khedkar का मामला सिविल सेवा परीक्षा ( civil services exams )में पारदर्शिता और ईमानदारी के महत्व को रेखांकित करता है। फर्जी दस्तावेजों और गलत जानकारी के माध्यम से परीक्षा में शामिल होना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह उन योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय भी है, जो अपनी मेहनत और योग्यता के आधार पर सफलता प्राप्त करना चाहते हैं।
इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट का निर्णय न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी को रोकने में सहायक होगा।
Puja Khedkar के मामले ने सिविल सेवा परीक्षा की प्रक्रिया में पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा की आवश्यकता को उजागर किया है। यह घटना उन सभी उम्मीदवारों के लिए एक चेतावनी है, जो गलत तरीकों से सफलता प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। सिस्टम में हेरफेर करने की किसी भी कोशिश को कानून के तहत सख्ती से निपटा जाएगा, जिससे समाज में ईमानदारी और न्याय की स्थापना हो सके।
इस मामले में आगे की जांच जारी है, और न्यायालय के निर्देशानुसार आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए यूपीएससी और अन्य संबंधित संस्थाएं कौन से कदम उठाती हैं, ताकि सिविल सेवा परीक्षा की प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता बनी रहे।