श्री गणेश का जन्म, महत्व, और सबसे पहले किसने पूजा की…?
भगवान श्री गणेश का जन्म, महत्व, और सबसे पहले किसने पूजा की…?
भगवान श्री गणेश का जन्म और उनका महत्व हिंदू धर्म में अत्यंत खास है। उन्हें विघ्नहर्ता (सभी बाधाओं को दूर करने वाले) और सिद्धिविनायक (सफलता के देवता) के रूप में पूजा जाता है। उनकी पूजा हर शुभ कार्य से पहले की जाती है। आइए जानते हैं कि भगवान गणेश कब, क्यों और कैसे आए और सबसे पहले उन्हें किसने पूजा था।
भगवान श्री गणेश का जन्म कब और कैसे हुआ?
भगवान गणेश के जन्म की कई कथाएं पुराणों में मिलती हैं। एक प्रमुख कथा के अनुसार:
माता पार्वती ने अपने स्नान के समय अपने शरीर के उबटन से एक छोटे लड़के को बनाया और उसे द्वार पर खड़ा कर दिया ताकि कोई भी अंदर प्रवेश न कर सके। उस समय भगवान शिव ध्यान में थे। जब भगवान शिव लौटे और अंदर प्रवेश करना चाहा, तो उस बालक (गणेश) ने उन्हें रोक दिया क्योंकि माता पार्वती ने उसे ऐसा करने का आदेश दिया था।
भगवान शिव को यह अपमान सहन नहीं हुआ और क्रोध में आकर उन्होंने गणेश जी का सिर काट दिया। जब माता पार्वती को इस घटना का पता चला, तो वह अत्यधिक दुखी हो गईं। अपने पुत्र को जीवित करने के लिए उन्होंने भगवान शिव से प्रार्थना की। तब शिवजी ने एक हाथी के बच्चे का सिर लाकर गणेश जी के शरीर पर लगा दिया और उन्हें नया जीवन दिया। इसके साथ ही, शिवजी ने गणेश जी को प्रथम पूज्य का आशीर्वाद दिया और कहा कि आगे से हर शुभ कार्य से पहले उनकी पूजा की जाएगी।
भगवान गणेश का महत्व क्यों है?
भगवान गणेश की पूजा के पीछे कई कारण हैं:
- विघ्नहर्ता: गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है, जो सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करने वाले होते हैं। उनके आशीर्वाद से किसी भी कार्य में आने वाली परेशानियों का नाश होता है।
- बुद्धि और ज्ञान के देवता: गणेश जी को बुद्धि, विवेक और ज्ञान का देवता माना जाता है। उनकी पूजा करने से व्यक्ति के मस्तिष्क का विकास होता है और वह सही निर्णय ले पाता है।
- शुभता के प्रतीक: भगवान गणेश शुभता और समृद्धि के प्रतीक हैं। उनकी पूजा से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा किसने की?
शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा देवताओं ने की थी। एक कथा के अनुसार, जब देवता और असुर मिलकर समुद्र मंथन कर रहे थे, तो मंथन के दौरान कई प्रकार की बाधाएं उत्पन्न हो रही थीं। तब सभी देवताओं ने भगवान गणेश की पूजा की ताकि वे मंथन के कार्य में आ रही विघ्नों को दूर कर सकें।
इसके अलावा, जब भगवान शिव ने गणेश जी को प्रथम पूज्य का आशीर्वाद दिया, तो सभी देवताओं ने सबसे पहले उनकी पूजा करना शुरू किया। इस तरह गणेश जी को हर पूजा में सबसे पहले स्थान मिला।
गणेश जी की पूजा का महत्व
गणेश जी की पूजा के बिना कोई भी धार्मिक या शुभ कार्य अधूरा माना जाता है। उनकी पूजा न केवल बाधाओं को दूर करती है, बल्कि घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद भी लाती है। यही कारण है कि भगवान गणेश को हिंदू धर्म में अत्यधिक मान्यता दी जाती है और हर महत्वपूर्ण अनुष्ठान में उनकी पूजा की जाती है।
और यही वजह है कि भगवान गणेश को सबसे पहले पूजा जाता है, क्योंकि वे हर कार्य को सफल और निर्विघ्न बनाते हैं।
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