23 October 2023: “दशहरा” का त्योहार भारतीय समाज में महत्वपूर्ण है और यह खुशियों और उत्सव का महा पर्व है। दशहरा को ‘विजयादशमी’ के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ होता है “विजय का दिन”। यह पर्व भगवान राम के जीवन में रावण के पराजय के रूप में मनाया जाता है, और इसे आदिकाल से ही मनाया जाता आया है।
दशहरा के दिन, लोग रामलीला नाटक का आयोजन करते हैं, जिसमें भगवान राम के जीवन के महत्वपूर्ण किस्से प्रस्तुत किए जाते हैं। इसके साथ ही, रावण, मेघनाद, और कुम्भकर्ण की मूर्तियों का दहन भी किया जाता है।
“दशहरे के दिन नवरात्र का नौवा दिन भी मनाया जाता है। इस दिन मां दुर्गा की पूजा करके, मूर्ति को पानी में विसर्जित किया जाता है। इस दिन देश के विभिन्न हिस्सों में रावण के पुतले को भगवान राम के धनुष से जलाया जाता है। दुसरी ओर, इसी दिन लोग अपने घरों में अपने विद्या और कार्य क्षेत्रों के साथ-साथ अपने आयुधों की पूजा करते हैं, जैसे कि किताबें, कलम, कृत्रिम उपकरण, कंप्यूटर, गहने, और अन्य उपकरण। इसका उद्देश्य यह होता है कि उनके आयुधों की आशीर्वाद मिले और वे अपने कौशल और शक्ति में समृद्धि प्राप्त कर सकें।
दशहरा पूजा कैसे करें?
दशहरा पूजा विभिन्न रूपों में की जा सकती है, लेकिन यहां कुछ महत्वपूर्ण विधि हैं जो आप दशहरा पूजा के दौरान कर सकते हैं:
पूजा का विधान:
- पूजा का आरंभ करने से पहले, आपको व्रत रखना होता है. इसका अर्थ है कि आपको उपवास करना होता है और सात्विक भोजन करना होता है.
- पूजा की शुरुआत मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र का दर्शन करके करें, और उन्हें पुष्प, अच्छर, और रोली या कुमकुम से सजाएं.
- दीप जलाएं और दुर्वा, कुमकुम, और चावल के साथ अर्चना करें.
- दुर्गा चालीसा या अन्य पूजा पाठ करें.
- मां दुर्गा की आरती गाएं और प्रसाद चढ़ाएं.
- दशहरा के पार्विक उपलक्ष्य में दुर्गा कथा का पाठ करें और मां दुर्गा की महिमा का गुणगान करें.
- अपने परिवार और दोस्तों के साथ मां दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति की कामना करें.
- पूजा के बाद प्रसाद को बांटें और उपवास को तोड़ें.
यह है कुछ सामान्य कदम जो दशहरा पूजा के दौरान किए जा सकते हैं, लेकिन धार्मिक परंपराओं और परिवार की पसंद के आधार पर पूजा की विशेष विधियों में भिन्नता हो सकती है।