गणेश पूजा विधि (Ganesh Pooja Vidhi)
गणेश पूजा हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, बुद्धि के देवता और शुभता का प्रतीक माना जाता है। हर शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा अनिवार्य मानी जाती है। यहाँ हम आपको आसान और चरणबद्ध विधि से गणेश पूजा करने का तरीका बता रहे हैं।
पूजा के समय विशेष बातें
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गणेश जी को दूर्वा (तीन पत्तियों वाली घास) और मोदक अत्यंत प्रिय हैं। पूजा के दौरान इनका भोग अवश्य चढ़ाएं।
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गणेश जी की पूजा में लाल फूल और सिंदूर का विशेष महत्व है।
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गणेश जी की मूर्ति की स्थापना हमेशा घर के उत्तर-पूर्व दिशा में करें। यह दिशा शुभ और पवित्र मानी जाती है।
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गणेश जी की पूजा से पहले पूरे परिवार को शुद्ध मन और शरीर से पूजा में सम्मिलित होना चाहिए।
गणेश पूजा न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शुभता का संचार करती है। उनके आशीर्वाद से हम सभी कार्यों में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
चरण 1: पूजा के लिए आवश्यक सामग्री
- भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर
- फूल (विशेषकर लाल फूल)
- दूर्वा (तीन पत्तों वाली हरी घास)
- मोदक या लड्डू (गणेशजी का प्रिय भोग)
- सिंदूर, हल्दी और चंदन
- धूप, दीपक और अगरबत्ती
- नारियल, कलश
- मिठाई, फल और पंचामृत
चरण 2: पूजा स्थान की तैयारी
- सबसे पहले घर के पूजा स्थान को साफ करें।
- एक चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें।
- मूर्ति के सामने एक दीपक जलाएं और पूजा सामग्री को सजाएं।
चरण 3: गणेश पूजा की विधि
- ध्यान: सबसे पहले भगवान गणेश का ध्यान करें और उनकी स्तुति करें।
ॐ गं गणपतये नमः
मंत्र के साथ भगवान गणेश का आवाहन करें और पूजा का संकल्प लें।
- आचमन: भगवान गणेश को जल अर्पित करें और आचमन कर पूजा प्रारंभ करें।
- स्नान: मूर्ति पर हल्का जल छिड़ककर स्नान कराएं और पंचामृत से अभिषेक करें।
- वस्त्र और श्रृंगार: भगवान गणेश को वस्त्र और आभूषण अर्पित करें, फिर चंदन, सिंदूर और हल्दी लगाएं।
- पुष्प अर्पण: गणेश जी को फूल और दूर्वा अर्पित करें। दूर्वा चढ़ाते समय यह मंत्र बोलें:
ॐ नमो दूर्वाय गणपतये नमः।
- भोग: भगवान को लड्डू, मोदक या किसी भी प्रिय मिठाई का भोग लगाएं।
- धूप-दीप: धूप और दीपक जलाकर भगवान गणेश की आरती करें। आरती के समय घंटी बजाएं और वातावरण को पवित्र करें।
चरण 4: गणेश आरती
आरती करने के लिए यह आरती गाएं:
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
एकदंत दयावंत, चार भुजा धारी।
एकदंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी॥
माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बाँझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बाँझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
चरण 5: गणेश मंत्र
गणेश मंत्र का जप करने से शुभता और समृद्धि की प्राप्ति होती है:
ॐ गं गणपतये नमो नम:श्री सिध्धीविनायक नमो नम:अष्टविनायक नमो नम:गणपती बाप्पा मोरया …
ॐ गं गणपतये नमो नम:श्री सिध्धीविनायक नमो नम:अष्टविनायक नमो नम:गणपती बाप्पा मोरया …
ॐ गं गणपतये नमो नम:श्री सिध्धीविनायक नमो नम:अष्टविनायक नमो नम:गणपती बाप्पा मोरया …
चरण 6: विसर्जन
पूजा के बाद भगवान गणेश से क्षमा याचना करें और प्रसाद ग्रहण करें। यदि आप गणेश जी की मूर्ति स्थापित कर रहे हैं, तो विसर्जन के दिन उन्हें किसी जलाशय में विसर्जित करें।
भगवान गणेश का महत्व और उनकी महिमा
भगवान गणेश को हिंदू धर्म में सर्वप्रथम पूज्य देवता माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत उनके आशीर्वाद से की जाती है। उन्हें विघ्नहर्ता यानी सभी विघ्नों को दूर करने वाले और बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है। भगवान गणेश की उपासना न केवल विघ्नों का नाश करती है, बल्कि जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि भी लाती है।
गणेश जी का स्वरूप
भगवान गणेश के चार हाथ होते हैं और उनके हाथों में पाश, अंकुश, मोदक, और वरद मुद्रा होते हैं। उनके वाहन मूषक (चूहा) को माना जाता है, जो हमारे भीतर के अहंकार और नकारात्मक विचारों का प्रतीक है। गणेश जी का बड़ा पेट समृद्धि और धैर्य का प्रतीक है, जबकि उनका एकदंत यह दर्शाता है कि कैसे हमें कठिनाइयों और अवरोधों को धैर्य और समर्पण के साथ दूर करना चाहिए।
गणेश जी के जन्म की कथा
भगवान गणेश का जन्म मां पार्वती और भगवान शिव के पुत्र के रूप में हुआ था। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, मां पार्वती ने अपने स्नान के दौरान गणेश जी को अपने शरीर के उबटन से बनाया और उन्हें द्वार पर पहरा देने के लिए खड़ा किया। जब भगवान शिव ने भीतर प्रवेश करना चाहा, तो गणेश जी ने उन्हें रोक दिया। क्रोधित होकर भगवान शिव ने उनका सिर काट दिया, लेकिन बाद में पार्वती की प्रार्थना पर एक हाथी के सिर को गणेश जी के धड़ पर स्थापित कर उन्हें जीवनदान दिया। इसी कारण भगवान गणेश को गजानन भी कहा जाता है।
भगवान गणेश के प्रमुख नाम
गणेश जी के अनेक नाम हैं, जो उनकी विभिन्न शक्तियों और गुणों को दर्शाते हैं। कुछ प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:
- विघ्नहर्ता: जो सभी विघ्नों को हरते हैं।
- सिद्धिविनायक: जो सिद्धि और सफलता देते हैं।
- एकदंत: जिनका एक दांत है।
- गजानन: जिनका सिर हाथी का है।
- लम्बोदर: जिनका पेट बड़ा है, जो समृद्धि का प्रतीक है।
भगवान गणेश की उपासना का महत्व
गणेश जी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले सभी अवरोध और कठिनाइयां दूर हो जाती हैं। उनके आशीर्वाद से जीवन में बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि का विकास होता है। विशेषकर गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन श्रद्धालु गणेश जी की मूर्ति की स्थापना करते हैं और दस दिन तक उनकी पूजा अर्चना करते हैं।
पाठकों के लिए शुभकामनाएँ
“भगवान गणेश आपकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करें
और आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास हो।
गणपति बप्पा मोरया!”
DesiiNews : गणेश पूजा आपकी आस्था और विश्वास को प्रगाढ़ करेगी। भगवान गणेश का आशीर्वाद आपके परिवार को सदैव शुभ और मंगलमय बनाए रखे।